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हम जन्मीं हैं रसातल में

हम जन्मीं हैं रसातल में हमने शत्रु के लिए भी सोचा हम होते इसकी जगह तो यही करते शायद ईश्वर ने नहीं सोचा  वह होता हमारी जगह तो क्या कर...

Wednesday, 21 September 2016

हम जन्मीं हैं रसातल में

हम जन्मीं हैं रसातल में

हमने शत्रु के लिए भी सोचा
हम होते इसकी जगह तो यही करते शायद
ईश्वर ने नहीं सोचा 
वह होता हमारी जगह
तो क्या करता आज
हम बने रहे एकनिष्ठ
असंवेदनशील लोगों के प्रति
चढाते रहे पान दूब पत्थर पर
करते रहे व्रत विधान
वह राज पाट में व्यस्त रहा
कभी फुर्सत नहीं पायी कहने की
कि यह व्यर्थ है औरत !!
फिर भी नहीं रूठे उसके पत्थर होने से
जानते थे
वह नहीं मनायेगा हमें हमारे कोपभवन में आकर
उसने बिना मांगे एक ह्रदय दिया हमें
और भयादोहन किया उसका जब तक
कि वह एक चोटिल हिंस्र पशु में तब्दील नहीं हो गया
हम उसी ईश्वर से डरीं हमेशा
जो नहीं डरा कभी किसी से
सबसे कम हमारी आहों से
हमारे श्राप तक नहीं छूते जिसे
दसों दिशाओं में लहराता है जिसका परचम
उस ईश्वर की विस्मृत संतानें
हम जन्मीं हैं रसातल में .

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