हम जन्मीं हैं रसातल में
हमने शत्रु के लिए भी सोचा
हम होते इसकी जगह तो यही करते शायद
ईश्वर ने नहीं सोचा
वह होता हमारी जगह
तो क्या करता आज
हम बने रहे एकनिष्ठ
असंवेदनशील लोगों के प्रति
चढाते रहे पान दूब पत्थर पर
करते रहे व्रत विधान
वह राज पाट में व्यस्त रहा
कभी फुर्सत नहीं पायी कहने की
कि यह व्यर्थ है औरत !!
फिर भी नहीं रूठे उसके पत्थर होने से
जानते थे
वह नहीं मनायेगा हमें हमारे कोपभवन में आकर
उसने बिना मांगे एक ह्रदय दिया हमें
और भयादोहन किया उसका जब तक
कि वह एक चोटिल हिंस्र पशु में तब्दील नहीं हो गया
हम उसी ईश्वर से डरीं हमेशा
जो नहीं डरा कभी किसी से
सबसे कम हमारी आहों से
हमारे श्राप तक नहीं छूते जिसे
दसों दिशाओं में लहराता है जिसका परचम
उस ईश्वर की विस्मृत संतानें
हम जन्मीं हैं रसातल में .
हमने शत्रु के लिए भी सोचा
हम होते इसकी जगह तो यही करते शायद
ईश्वर ने नहीं सोचा
वह होता हमारी जगह
तो क्या करता आज
हम बने रहे एकनिष्ठ
असंवेदनशील लोगों के प्रति
चढाते रहे पान दूब पत्थर पर
करते रहे व्रत विधान
वह राज पाट में व्यस्त रहा
कभी फुर्सत नहीं पायी कहने की
कि यह व्यर्थ है औरत !!
फिर भी नहीं रूठे उसके पत्थर होने से
जानते थे
वह नहीं मनायेगा हमें हमारे कोपभवन में आकर
उसने बिना मांगे एक ह्रदय दिया हमें
और भयादोहन किया उसका जब तक
कि वह एक चोटिल हिंस्र पशु में तब्दील नहीं हो गया
हम उसी ईश्वर से डरीं हमेशा
जो नहीं डरा कभी किसी से
सबसे कम हमारी आहों से
हमारे श्राप तक नहीं छूते जिसे
दसों दिशाओं में लहराता है जिसका परचम
उस ईश्वर की विस्मृत संतानें
हम जन्मीं हैं रसातल में .
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