माया एंजेलो की कविताएँ- अनुवाद
कृति ओर' में मेरे द्वारा अनूदित अश्वेत अमरीकी कवियत्री माया एंजेलो की जीवनगाथा और कविताएँ। ये कविताएँ दस्तावेज हैं अमरीका में 20वीं शताब्दी में रंगभेद के विरुद्ध हुई राजनैतिक व सामाजिक क्रांति के। यातना का एक अँधेरा सफ़र जो अंततः दूधिया प्रकाश और आज़ादी में ख़त्म होता हैं।
रात बहुत लंबी थी
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
जब मैं मुर्दा नीले आसमान के नीचे
एक सुदूर समुद्र तट पर
चोटियाँ पकड़ कर तुम्हारी पहुँच से बाहर घसीट ली गयी
तुम्हारे हाथ बँधे थे और मुंह भी बंद था
कि तुम मेरा नाम तक न पुकार सके
तुम असहाय थे, और मैं भी
लेकिन दुर्भाग्य ! पूरे इतिहास भर
तुम्ही शर्मिंदगी का तमगा पहने रहे
एक सुदूर समुद्र तट पर
चोटियाँ पकड़ कर तुम्हारी पहुँच से बाहर घसीट ली गयी
तुम्हारे हाथ बँधे थे और मुंह भी बंद था
कि तुम मेरा नाम तक न पुकार सके
तुम असहाय थे, और मैं भी
लेकिन दुर्भाग्य ! पूरे इतिहास भर
तुम्ही शर्मिंदगी का तमगा पहने रहे
माया एंजेलो, 04 अप्रैल 1928 - 28 मई 2014
अश्वेत अमेरिकी लेखिका, कवयित्री समाजसेवी और मनोरंजन कलाकार माया एंजेलो का मई 2014 में निधन हो गया। अपनी आत्मकथाओं और कविताओं के लिए प्रसिद्ध, माया एंजेलो ने अफ़्रीकी-अमरीकी नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया और अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।.उनकी सात आत्मकथाएं,तीन निबंध संग्रह, अनेकों काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। उन्होंने लगभग 50 वर्षों के कार्यकाल में अनेक चर्चित नाटक, फिल्में और धारावाहिक लिखे। उन्हें दर्जनों सम्मानों और 50 से भी अधिक सम्मानार्थ उपाधियों से सम्मानित किया गया था, उनमें से तीन हैं पुलित्ज़र पुरस्कार में नामांकन, ग्रैमी और प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ़्रीडम। एंजिलो सबसे अधिक अपनी 7 आत्मकथात्मक पुस्तकों के लिए जानी जातीं हैं जिसमें उन्होने अपनी बाल्यावस्था और प्रारम्भिक वयस्क अवस्था के अनुभवों का वर्णन किया है,जब उन्हें एक खानसामा से लेकर एक बार नर्तकी और वेश्या का काम करना पड़ा। माया एंजिलो बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में जन्मी थीं, अतः उन्हें रंग भेद कि कुप्रथा के बेहद कटु व्यक्तिगत अनुभव हुए, उनकी रचनाओं में यह सामाजिक निर्ममता, रंगभेद व दासता के अनुभव से जन्मी पीड़ा सब कहीं परिलक्षित होती है। वे सर्वप्रथम अपनी 1969 की कृति ‘आइ नो वाइ द केज्ड बर्ड्स सिंग‘ के लिए मशहूर हुईं जो कि किसी अफ्रीकी अमरीकी महिला द्वारा लिखी गयी पहली बेस्ट सेलर थी। उनकी कविता ‘स्टिल आइ राइज़’ भी बहुत लोकप्रिय है। उन्हें अश्वेत अधिकारों का कट्टर समर्थक और प्रवक्ता माना जाता रहा है,अमरीका के कुछ पुस्तकालयों ने उन पर प्रतिबंध भी लगाया लेकिन आज वह विश्व भर में विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। माया एंजेलो सदैव दुनिया भर में वंचितों की अंतिम आशा के रूप में याद रखी जाएंगी ।
1. मैं फ़िर उठ खड़ी होती हूँ
(‘स्टिल आइ राइज़’ माया एंजिलो)
बेशक इतिहास लिखते समय तुम अपने
कड़वे और सफ़ेद झूठों के सहारे
मुझे गलत ठहरा सकते हो
धूल में मिला सकते हो
लेकिन , उस धूल की तरह ही
मैं फिर उठ खड़ी होऊंगी
कड़वे और सफ़ेद झूठों के सहारे
मुझे गलत ठहरा सकते हो
धूल में मिला सकते हो
लेकिन , उस धूल की तरह ही
मैं फिर उठ खड़ी होऊंगी
क्या मेरा बेबाकपन तुम्हें विक्षुब्ध करता है ?
परेशान क्यों हो
कहीं इसलिए तो नहीं
कि मैं इस दर्प से चलती हूँ
जैसे मेरी बैठक में तेल के कुएँ खुदे हैं
चाँद और सूरज की गति
समुद्र में ज्वार आना तय करती है
वैसे ही बढ़ती उम्मीदों सी
मैं फिर उठ खड़ी होऊंगी
परेशान क्यों हो
कहीं इसलिए तो नहीं
कि मैं इस दर्प से चलती हूँ
जैसे मेरी बैठक में तेल के कुएँ खुदे हैं
चाँद और सूरज की गति
समुद्र में ज्वार आना तय करती है
वैसे ही बढ़ती उम्मीदों सी
मैं फिर उठ खड़ी होऊंगी
क्या तुम मुझे टूटता देखना चाहते थे ?
या मेरा झुका हुआ सिर और नीची निगाहें ?
या मेरे हृदयविदारक रुदन के बाद
आँसुओं की बूंदों जैसे ढलके हुए मेरे कंधे ?
क्या मेरे गर्व से तुम्हारा अपमान होता है ?
या तुम इसलिए रुष्ट हो कि
मैं इस अभिमान से हँसती हूँ
जैसे मेरे घर के आँगन में
सोने की खदानें निकली हैं
तुम मुझे शब्दों से गोली मार सकते हो
धारदार आँखों से क्षत विक्षत कर सकते हो
घृणा से हत्या सकते हो मेरी
लेकिन एक चक्रवात की तरह
मैं फ़िर उठ खड़ी होऊंगी
या मेरा झुका हुआ सिर और नीची निगाहें ?
या मेरे हृदयविदारक रुदन के बाद
आँसुओं की बूंदों जैसे ढलके हुए मेरे कंधे ?
क्या मेरे गर्व से तुम्हारा अपमान होता है ?
या तुम इसलिए रुष्ट हो कि
मैं इस अभिमान से हँसती हूँ
जैसे मेरे घर के आँगन में
सोने की खदानें निकली हैं
तुम मुझे शब्दों से गोली मार सकते हो
धारदार आँखों से क्षत विक्षत कर सकते हो
घृणा से हत्या सकते हो मेरी
लेकिन एक चक्रवात की तरह
मैं फ़िर उठ खड़ी होऊंगी
क्या मेरा मादक सौंदर्य तुम्हें विक्षुब्ध करता है?
या तुम्हें अचंभा होता है
मेरे इस तरह नाचने पर जैसे मैंने
अपने कटि प्रदेश में हीरे छिपाए हुए हैं ?
मैं तो इतिहास की लज्जा से बना
झुग्गियों मेँ जन्मा
पीड़ा से उगे अतीत से उठा
एक हिलोरें लेता काला महासागर
छलकते और उमड़ते कितने ही ज्वार अपने में समेटे
मैं भय और आतंक की
कितनी ही रातें अपने पीछे छोडती हुई
उठती हूँ
और एक अनोखी उजली भोर में मेरा पुनरोदय होता है
या तुम्हें अचंभा होता है
मेरे इस तरह नाचने पर जैसे मैंने
अपने कटि प्रदेश में हीरे छिपाए हुए हैं ?
मैं तो इतिहास की लज्जा से बना
झुग्गियों मेँ जन्मा
पीड़ा से उगे अतीत से उठा
एक हिलोरें लेता काला महासागर
छलकते और उमड़ते कितने ही ज्वार अपने में समेटे
मैं भय और आतंक की
कितनी ही रातें अपने पीछे छोडती हुई
उठती हूँ
और एक अनोखी उजली भोर में मेरा पुनरोदय होता है
अपने साथ पूर्वजों के उपहार लायी हूँ
कि मैं गुलामों का स्वप्न और उम्मीद हूँ
मैं उठती हूँ
उठती हूँ
फ़िर फ़िर उठ खड़ी होती हूँ ।
कि मैं गुलामों का स्वप्न और उम्मीद हूँ
मैं उठती हूँ
उठती हूँ
फ़िर फ़िर उठ खड़ी होती हूँ ।
2. दस लाख का जुलूस
(‘मिलियन मैन मार्च’ माया एंजिलो )
(‘मिलियन मैन मार्च’ माया एंजिलो )
रात बहुत लंबी थी
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
जब मैं मुर्दा नीले आसमान के नीचे
एक सुदूर समुद्र तट पर
चोटी पकड़ तुम्हारी पहुँच से बाहर घसीट ली गयी
तुम्हारे हाथ बँधे थे और मुंह भी बंद था
कि तुम मेरा नाम तक न पुकार सके
तुम असहाय थे, और मैं भी
लेकिन दुर्भाग्य ! पूरे इतिहास भर
तुम्ही शर्मिंदगी का तमगा पहने रहे
एक सुदूर समुद्र तट पर
चोटी पकड़ तुम्हारी पहुँच से बाहर घसीट ली गयी
तुम्हारे हाथ बँधे थे और मुंह भी बंद था
कि तुम मेरा नाम तक न पुकार सके
तुम असहाय थे, और मैं भी
लेकिन दुर्भाग्य ! पूरे इतिहास भर
तुम्ही शर्मिंदगी का तमगा पहने रहे
चाहे
रात बहुत लंबी रही है
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
रात बहुत लंबी रही है
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
लेकिन आज
हमारे पूर्वजों की आत्माएँ
वर्षों, सदियों ,
महासागरों और सागरों के भी पार से
हमसे प्रगाढ़ शब्दों में कहतीं हैं
एक दूसरे के समीप आ जाओ
और अपनी प्रजाति बचा लो
क्योंकि वे बहुत पहले ही
हमारी आज़ादी की कीमत अदा कर चुके हैं
वे कह रहे हैं कि
उनकी दासता की जंजीरें
बहुत पहले ही हमारी आज़ादी की कीमत चुका चुकीं हैं
हमारे पूर्वजों की आत्माएँ
वर्षों, सदियों ,
महासागरों और सागरों के भी पार से
हमसे प्रगाढ़ शब्दों में कहतीं हैं
एक दूसरे के समीप आ जाओ
और अपनी प्रजाति बचा लो
क्योंकि वे बहुत पहले ही
हमारी आज़ादी की कीमत अदा कर चुके हैं
वे कह रहे हैं कि
उनकी दासता की जंजीरें
बहुत पहले ही हमारी आज़ादी की कीमत चुका चुकीं हैं
भले ही रात बहुत लंबी रही है
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
फ़िर भी
हम जिस नर्क में जिये
और जी रहे हैं
उसने हमारी चेतना को धारदार
इच्छा शक्ति को मजबूत बना दिया है
इस लंबी रात के बाद भी
सुबह मैं तुम्हारी व्यथा के रास्ते
तुम्हारी आत्मा में झाँक सकती हूँ
क्योंकि एक दूसरे का साथ देकर ही
हम अपने आप को सम्पूर्ण कर सकते हैं
मैं तो तुम्हारी मुद्रा और वेश भूषा
को भी दरकिनार कर
तुम्हारी बड़ी बड़ी भूरी आँखों में
तुम्हारे परिवार के लिए
तुम्हारा प्यार पढ़ सकती हूँ
ज़ख्म गहरे
गर्त अंधेरी
और दीवारें खड़ीं
फ़िर भी
हम जिस नर्क में जिये
और जी रहे हैं
उसने हमारी चेतना को धारदार
इच्छा शक्ति को मजबूत बना दिया है
इस लंबी रात के बाद भी
सुबह मैं तुम्हारी व्यथा के रास्ते
तुम्हारी आत्मा में झाँक सकती हूँ
क्योंकि एक दूसरे का साथ देकर ही
हम अपने आप को सम्पूर्ण कर सकते हैं
मैं तो तुम्हारी मुद्रा और वेश भूषा
को भी दरकिनार कर
तुम्हारी बड़ी बड़ी भूरी आँखों में
तुम्हारे परिवार के लिए
तुम्हारा प्यार पढ़ सकती हूँ
आओ ताली बजाएँ और इस सभा स्थल पर एकसाथ आ जाएँ
आओ, ताली बजाएँ और एक दूसरे से प्रेमपूर्ण व्यवहार करें
आओ उदासीनता की इस तुच्छ राह से ऊपर उठ आएँ
ताली बजाएँ अपने हृदय खोल दें
हम साथ आयें अपनी आत्माओं का परिष्कार करें
हम साथ आयें और प्राणों को शुद्ध करें
ताली बजाएँ, अब आत्म स्तुति बंद करें
और अपने इतिहास को दोहराने का ढोंग न करें
ताली बजाएँ हाशिये पर खिसक गईं पूर्वजों की आत्माओं का आव्हान करें
ताली बजाएँ और अपनी बातचीत में प्रसन्नता शामिल करें
अपने शयन कक्षों में शिष्टता
रसोईघरों में सभ्यता
पालनाघरों मे सौम्यता और देखभाल लाएँ
हमारे पूर्वज हमें याद दिला रहे हैं
कि भले ही हमारा इतिहास वेदनपूर्ण रहा है
हम गतिशील प्रजाति हैं
जो फ़िर उठ खड़ी होगी
और फ़िर और ऊँची उठेगी ।
कि भले ही हमारा इतिहास वेदनपूर्ण रहा है
हम गतिशील प्रजाति हैं
जो फ़िर उठ खड़ी होगी
और फ़िर और ऊँची उठेगी ।
3. प्रेम का स्पर्श
(‘टच्ड बाइ एन एंजेल’ माया एंजिलो )
हम जो डरने के अभ्यस्त हैं
हम जो सुखों से वंचित रहे हैं
हम तब तक कुंडली मारे
अपने खोलों में दुबके पड़े रहते हैं
जब तक
प्रेम हमें मुक्त करने के लिए
अपने अलौकिक देवस्थान से
स्वयं नहीं उतर आता है
प्रेम जब आता है
तो उसकी बग्घी में साथ आते हैं
थोड़े से अलौकिक सुख
और विगत सुखों की स्मृतियाँ
लेकिन साथ ही दारुण पीड़ा के लेखे जोखे भी
फिर भी यदि हम प्रतिबद्ध हैं तो
प्रेम हमारी आत्मा से
दासता की सब बेड़ियाँ तोड़ फेंकेगा
उसकी दूधिया रोशनी ने ही
जबरन हमें कायरता से अलग किया है
क्या हुआ कि जब हम प्रेम करने की
हिम्मत जुटा ही रहे थे
हमने पाया
कि प्रेम तो बहुत महँगा है
यह हमसे हमारा सब ले लेगा
लेता ही रहेगा
आज भी और आगे भी
हम यह भी तो जानते हैं
कि एकमात्र प्रेम ही
वह मार्ग है
जो हमें मुक्त कर सकता है ।
हम जो सुखों से वंचित रहे हैं
हम तब तक कुंडली मारे
अपने खोलों में दुबके पड़े रहते हैं
जब तक
प्रेम हमें मुक्त करने के लिए
अपने अलौकिक देवस्थान से
स्वयं नहीं उतर आता है
प्रेम जब आता है
तो उसकी बग्घी में साथ आते हैं
थोड़े से अलौकिक सुख
और विगत सुखों की स्मृतियाँ
लेकिन साथ ही दारुण पीड़ा के लेखे जोखे भी
फिर भी यदि हम प्रतिबद्ध हैं तो
प्रेम हमारी आत्मा से
दासता की सब बेड़ियाँ तोड़ फेंकेगा
उसकी दूधिया रोशनी ने ही
जबरन हमें कायरता से अलग किया है
क्या हुआ कि जब हम प्रेम करने की
हिम्मत जुटा ही रहे थे
हमने पाया
कि प्रेम तो बहुत महँगा है
यह हमसे हमारा सब ले लेगा
लेता ही रहेगा
आज भी और आगे भी
हम यह भी तो जानते हैं
कि एकमात्र प्रेम ही
वह मार्ग है
जो हमें मुक्त कर सकता है ।
-अनुराधा सिंह
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