तरुण लड़की
1.
तरुण लड़की
रिक्शा में साथ बैठी है
कई जोड़ी आँखें निर्दोष मुख पर
उठतीं
और टाल जाती हैं दोबारा देखना
या झुक जातीं हैं अनायास
मेरी राहत कलेजे में ठंडी होती
है
'दुनिया अच्छी है अभी, हैं?
"नहीं" कहते हैं निष्कंप होंठ
'क्या कहा?'
"कहा कि नहीं अच्छी है दुनिया"
काँप जाती है मेरी राहत
इसने कब जाना यह?
2.
लड़की
घुटनों पर ठुड्डी टिकाये
देखती है बगुलों की पांत एकटक
उस गुनगुनी होती गरम साँझ
"चिड़िया बनेगी?"
"नाह, लड़की ही बनूँगी।"
झुटपुटा होने तक
हम उड़ते बगुले देखते हैं चुपचाप
साथ-साथ।
3.
यह लड़की
हमारी माँ की तरह गमकती है
जब मेरी कातरता को अपनी कृश बाँहों
में लपेट
गुनगुने पेट से सटा लेती है
यही धुले बेसन सी महक
माँ के मेरी कोख तक आने का पुल
है।
4.
मैं कि ब्याह से मिलने वाले
सुख, सुरक्षा समझाती हूँ
वह कि मृणाल उँगलियों से
मेरी पलकों का सब नमक पोंछती
हाथों और कलेजे की दरारों को
छोटे गुलाबों से चूम भर देती है
समझाती है पुरखिन की तरह
“लड़कियों को शादी नहीं करनी चाहिए"
5.
तरुण लड़की !!
तुम्हारी सुंदरता आँकने के लिए
मैं इस दुनिया की सबसे नामुनासिब
इंसान हूँ
मेरी पुतलियों में भगवान ने
चिपका दी थी तुम्हारी
सबसे पक्षपातपूर्ण तस्वीर
एक शाम
ठीक चार बजकर चौदह मिनट पर
मुझसे और मत पूछना यह दुष्कर प्रश्न
हो सकता है मेरा सच भी बहुत झूठा
हो दरअसल।
6॰
मैं इस दुनिया में
सबको प्रेममय देखना चाहती हूँ
सिवाय तुम्हारे
नहीं है मेरा आंचल इतना बेहिस
जो समेट सके तुम्हारी सिसकियाँ
भर सके तुम्हारे ज़ख्म, नहीं है यह ताब मेरी छाती में
यूंही कबूतरी बनी रहो मेरे पालने
की
नहीं चाहती हूँ
तुम प्रेम करो किसी भी दिन ।
No comments:
Post a Comment